12वीं फेल,हार नहीं मानूंगा- प्यार, लगन और सफलता की अद्भुत कहानी

बीते कुछ समय से सिनेमा जगत में एस्पिरेंट्स पर आधारीत फिल्मों और वेब सीरीज़ का अंबार लगा है और इनके पार्ट 2 पर भी काम चल रहा है। जिससे ये समझा जा सकता है कि सिनेमा जगत के लिए अब यू.पी.एस.सी, एस.एस.सी और अलग- अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे एस्पिरेंट्स एक टारगेट ऑडियंस हैं।

इसी कड़ी में विक्रांत मैसी स्टारर और विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म 12वीं फेल 27 अक्तूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। फिल्म अनुराग पाठक की किताब “12थ फेल: हारा वही जो लड़ा नहीं” पर आधारीत है। विधु विनोद चोपड़ा की ये फिल्म भारतीय पुलिस सेवा के 2005 बैच के आ.पी.एस मनोज कुमार शर्मा की कहानी है। मनोज चंबल के उस माहौल से बाहर आए और दिल्ली महानगर में खूब मेहनत के बाद यू.पी.एस.सी की परीक्षा में सफल हुए।

12वीं फेल को बनाने में कुल 20 करोड़ का खर्च आया है पर फिल्म अपने दूसरे हफ्ते तक महज़ 27 करोड़ की ही कलेक्शन कर सकी है, जो की अपेक्षाकृत बहुत कम है।

कहानी चंबल के बिहड़ों से शुरू होकर मुखर्जी नगर की गलियों में संघर्ष और प्रेम के बीच से यू.पी.एस.सी भवन तक जाती है। जिस बीच मनोज के अथाह संघर्षों को विक्रांत मैसी ने बखूबी निभाया है।

फिल्म की शुरुआत थोड़ी सुस्त नज़र आती है, भूमिका बनने में ही 40 मिनिट से अधिक का समय लग जाता है, जिससे दर्शकों में एक बोरीयत का भाव आने लगता है। कहानी जैसे- जैसे आगे बढ़ती है तो रुचिकर होती जाती है पर तब तक दर्शक को बांधना थोड़ा मुश्किल है।

हालहीं के समय में रिलीज हुई एस्पिरेंट्स पर आधारीत फिल्मों की कहानी 12वीं फेल से काफी मिलती नज़र आती है, जिससे फिल्म में नयापन देखने को नहीं मिलता। जो इस फिल्म की अपेक्षाकृत कमाई ना होने का कारण हो सकता है।

फिल्म में लोकेशन्स का काफी ध्यान रखा गया है। मुखर्जी नगर और मलका गंज में शूटिंग की वजह से सीन का बैकग्राउंड बनावटी नहीं लगता।

पूरी फिल्म मनोज के गरीबी से जुझते हुए यू.पी.एस.सी की तैयारी और श्रद्धा के साथ उनके प्रेम पर आधारीत है। कहानी की एंडिंग हैपी एंडिंग होती है जिसमें मनोज आई.पी.एस बन जाते हैं और उनकी शादी उनकी प्रेमिका श्रद्धा से हो जाती है।

- वैभव

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